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Post by gauravrousa on Oct 21, 2010 19:07:24 GMT 5.5
ACCORDING TO Government OFFICIAL WEBSITE Of District Bulandshar:FIRST WAR OF INDEPENDENCE IN 1857 In 1857 during the first want of independence even Bulandshahr could not remain a lot by the popular explosion against the British rule. One message of resolution was carried from Aligarh by Pandit Narayan Sharma on 10th May 1857 to Bulandshahr. The first popular alarm of feeedom struggle was sorunded in the bulandshahr district by the nationalist, brave. The gurjaras of Dadri and Sikandrabad area begain distruction of inspection bunglows telegraph offices and government buildings as they were symbols of foreign rule. The government institutions were looteed and burned to ashes. no involement of jats and rajputs according to the website, , visit bulandshahar.nic.in/
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Vir Gurjareshwar
Regular Member
Delhi & West U.P.:: The Great Gurjar Land
Posts: 36
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Post by Vir Gurjareshwar on Oct 22, 2010 15:18:48 GMT 5.5
Dear Gaurav Nice job We all have already discussed in previous gurjar forum samajsamdesh that if you are right and doing work hard, then you will be great and get the lost pride. When you will become powerful and politically strong, People and media will trace your history itself without your effort.
Badhte Chalo, Vijay apni hai
Do the best in your working field, the efforts to do own great work make our Gurjar Samaj Great.
Jai Gurjar Land
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Post by sandeepkumarbhati on Jul 11, 2016 15:45:50 GMT 5.5
Majlis Jamidar Luharly
सन 1874 में बुलंदशहर के डिप्टी कलेक्टर कुंवर लक्षण सिंह ने 1857 की क्रांति को लिपिबद्घ किया वह लिखता है, दादरी रियासत के राव रोशन सिंह, राव उमराव सिंह, राव बिशन सिंह राव भगवंत सिंह आदि ने मिलकर अंग्रेजी सरकार के खिलाफ बगावत का झंडा उठाया था। अत: इस परिवार की सारी चल अचल संपत्ति सरकार द्वारा जब्त कर ली गयी और राव रोशन सिंह तथा उनके पुत्रों व भाईयों को प्राण दण्ड दे दिया गया। इस जन युद्घ के हिम्मत सिंह (गांव रानौली) झंडू जमींदार, सहाब सिंह (नंगला नैनसुख) हरदेव सिंह, रूपराम (बील) मजलिस जमींदार (लुहारली) फत्ता नंबरदार (चिटहरा) हरदयाल सिंह गहलोत, दीदार सिंह, (नगला समाना) राम सहाय (खगुआ बास) नवल, हिम्मत जमीदार (पैमपुर) कदम गूजर (प्रेमपुर) कल्लू जमींदार (चीती) करीम बख्शखांन (तिलबेगमपुर) जबता खान (मुंडसे) मैदा बस्ती (सांवली) इंद्र सिंह, भोलू गूजर (मसौता) मुल्की गूजर (हृदयपुर) मुगनी गूजर (सैंथली) बंसी जमींदार (नगला चमरू) देवी सिंह जमीदार (मेहसे) दानसहाय (देवटा) बस्ती जमींदार (गिरधर पुर) फूल सिंह गहलोत (पारसेह) अहमान गूजर (बढपुरा) दरियाव सिंह (जुनेदपुर) इंद्र सिंह (अट्टïा) आदि क्रांतिकारियों को अंग्रेजी सरकार ने रिंग लीडर दर्ज कर मृत्यु दण्ड दिया। भारत की आजादी के लिए प्रथम क्रांति युद्घ में हरदयाल सिंह रौसा, रामदयाल सिंह ,निर्मल सिंह (सरकपुर) तोता सिंह कसाना (महमूदपुर लोनी) बिशन सिंह (बिशनपुरा) सहित 84 क्रांतिकारियों को बुलंदशहर कालाआम पर मृत्यु दण्ड दिया गया वहीं अंग्रेजी सरकार द्वारा सैकड़ों क्रांतिकारियों को काले पानी की सजा दी गयी। राव संजय भाटी ने बताया कि 1857 में अंग्रेजों के खिलाफ हुई क्रांति में करीब 84 सपूतों ने अंग्रेजों को उखाड़ने के लिए लड़ाई लड़ी थी। परिणाम स्वरूप ब्रिटिश सरकार ने उस समय क्षेत्र के करीब 84 क्रांतिकारियों को बुलंदशहर के काला आम पर गुप्त रूप से मृत्युदंड दे दिया था। इनमें दादरी रियासत के राव बिशन सिंह, राव भगवंत सिंह, राव उमराव सिंह, अट्टा के इंदर सिंह, नत्थू सिंह, जुनेदपुर के दरियाव सिंह, बील के हरदेव सिंह, लुहारली के मजलिस जमींदार, देवटा के दान सहाय, महपा के ठाकुर देवी सिंह भाटी समेत 84 क्रांतिकारी शामिल थे। मजलिस जमींदार (लुहारली)
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Post by sandeepkumarbhati on Aug 3, 2016 12:04:22 GMT 5.5
स्वतंत्रता सेनानी भिक्की सिंह लुहारली the grandson of majlis jamidar luharly
समाज में बिरले ही होते हैं जो वक़्त की नब्ज़ को पहचानते हैं और जिनकी भविष्य दृष्टि गजब की होती है। नई बस्ती के चौ0 रज्जू सिंह की आत्मा को सन 1942 के एक दिन किसी सामाजिक समारोह में उनके दिमाग ने उन्हें इस लक्ष्य ने झकझोर दिया कि दूसरी बिरादरी में इतने युवक सरकारी और अच्छे -अच्छे पदों पर हैं तो हमारी बिरादरी में क्यों नही हैं? इसी काऱण वे शिक्षा के प्रति उद्वेलित हो उठे। उस समय गाँव खैरपुर निवासी श्री बाबू लाल गुप्ता अयोध्यागंज में एक छोटा सा स्कूल चलाते थे। अयोध्या गंज में श्यौराजपुर के प्रधान सुनहरी सिंह की एक आढत की दुकान थी ,जिस पर यदा कदा गुर्जर बिरादरी के लोग आते जाते थे। चौ0 रज्जू सिंह ने क्षेत्र में शिक्षा के प्रति जाग्रति पैदा करने के लिए प्रयास तेज किये और वर्ष 1942 में श्यौराजपुर वालों की दुकान पर क्षेत्र में शिक्षा के प्रति क्षेत्र के गणमान्य व्यक्तियों की एक पंचायत हुई ,जिसमे श्री नम्बरदार रज्जू सिंह नई बस्ती, चौ0 कल्ला बोहरा साकीपुर ,प्रधान सुनहरी सिंह श्यौराजपुर , प्रधान रतीराम दुजाना, चौ0 शादीराम चीती, चौ0 गुलजारी सिंह बिसरख, चौ0 डल्लू सिंह बागपुर, चौ0 बलवंत सिंह सरखपुर,स्वतंत्रता सेनानी भिक्की सिंह लुहारली ,लेफ्टिनेंट धीरज सिंह सलामतपुर, चौ0 लखपत सिंह लढपुरा,मुंशी जमना सहाय हज़रतपुर, चौ0 फ़तेह सिंह बढ़पुरा आदि सम्मिलित थे। पंचायत में श्री बाबू लाल गुप्ता से बात हुई तो उन्होंने कहा था,"स्कूल की स्थापना अवश्य करो - छोटे से स्कूल को सम्भालो,मैं उसमे रहूँ या न रहूँ स्कूल चलाओ। पंचायत के निर्णय के अनुसार 1942 में अयोध्यागंज के बांस की खरपंचो के कमरे बनाकर प्राइमरी स्कूल खोला गया ,जिसके पहले मुख्य अध्यापक श्री बाबू लाल गुप्ता जी थे और संस्था के पहले प्रबंधक चौधरी रज्जू सिंह,ग्राम नई बस्ती को बनाया गया। बिरादरी के इन सरदारो ने दौड़-धुप इस बात क लिए की कि क्षेत्र में उच्च शिक्षा का प्रसार कैसे हो?इस स्कूल को सन 1946 में 'गुर्जर एंग्लो संस्कृत जूनियर हाई स्कूल 'नाम से शासन से मान्यता मिली। इस हाई स्कूल का प्रधानाचार्य श्री बाबू लाल गुप्ता को बनाया गया तथा प्रबंधक नम्बरदार श्री रज्जू सिंह को बनाया गया। यह हाई स्कूल वर्ष 1950 के मध्य तक अयोध्या में ही चलता रहा। 1946 में क्षेत्र के प्रमुख व्यक्तियों ने विद्यालय का स्थान निश्चित करने का विचार आरम्भ किया,जिसका विकल्प तिलपता की झीड़ी ,दादूपुर- अटाई की झीड़ी तथा दादरी में मिलिट्री पड़ाव की जमीन प्राप्ति हेतु प्रयास तेज हुए। सन 1949 में चौ0 रज्जू सिंह नम्बरदार नई बस्ती , चौ0 शादीराम जी चीती , चौ0 प्रधान रतीराम दुजाना ,बाबू लेखराज सिंह एडवोकेट बुलन्दशहर ,मा.हरबंश सिंह ,जमालपुर, चौ0 तेज सिंह डेबटा , चौ0 रामचन्द्र विकल नया गाँव ,ठेकेदार रामस्वरूप सिंह सातलका आदि ने बिरादरी के सहयोग से मिलकर मिलिट्री पड़ाव दादरी की इस जमीन पर 2 अक्टूबर को एक सप्ताह तक गांधी जयंती मनाने का निश्चय किया गया और जिसे एक सप्ताह तक मनाया गया। गांधी जयंती में केंद्रीय खाद्य एवं कृषि मंत्री रफ़ी अहमद किदवई को बुलाया गया ,जिन्होंने केंद्रीय रक्षा मंत्री सरदार बलदेव सिंह से इस अवसर पर पंद्रह एकड़ जमीन स्कूल को देने को कहा और पंद्रह एकड़ जमीन विधालय को मिल गयी। कुछ समय बाद मिलिट्री पड़ाव की साढ़े सैंतीस एकड़ जमीन विद्यालय को और प्राप्त हो गयी। बाबू बनारसी दास , मा. हरबंश,बाबू लेखराज सिंह ,रामचन्द्र विकल,बाबू तेज सिंह जी ने इस गांधी जयंती पर संयुक्त प्रान्त (उत्तर प्रदेश )के प्रधानमंत्री श्री गोविन्द बल्लभ पंत को बुलाकर सन 1949 में उनसे 'गुर्जर एंग्लो संस्कृत हायर सेकेंडरी स्कूल 'की आधारशिला रखने के लिए आमंत्रित किया गया जो बड़ी कठिनाई से विरोध के बावजूद आये और 'गुर्जर एंग्लो संस्कृत विद्यालय' की आधारशिला उनके कर कमलों से रखी गयी। इसी वर्ष एक जलसे का आयोजन भी किया गया ,जिसमें प्रसिद्ध भजनोपदेशक व अनेक केंद्रीय मंत्री पंजाबराय देशमुख,राजकुमारी अमृतकौर व सरदार बलदेव सिंह के साथ प्रधानमंत्री पं.जवाहर लाल नेहरू भी आये। नेहरूजी ने यहां से जाकर बुलन्दशहर में कहा था कि 'मैंने दादरी में एक बहुत ही आलीशान कॉलेज को बनते देखा है। ' विद्यालय में इस अवसर पर भजनोपदेशक पृथ्वी सिंह 'बेधड़क ' को आमंत्रित किया गया और जिला बुलन्दशहर के कलेक्टर कप्तान भगवान सिंह को बुलाया गया। उत्सव में चंदा कमेटियाँ गठित की गयी और बड़े जोर शोर से कार्य आरम्भ हो गया। उत्सव में भजनोपदेशक पृथ्वी सिंह बेधड़क बड़े जोश में क्षेत्रीय लोगों की भावनाओं को जागृत करके कहा,"गुर्जरों की दादरी,भूरों की बिरादरी- आ जा मैदान में" जिसका क्षेत्रीय जनता ने बड़े उत्साह से दान देकर उत्सव को सफल बनाया। इसके बाद भूरो देवी,जो गाँव गुलिस्तान की रहने वाली थीं ,ने कहा कि ,'यदि कलेक्टर भगवान सिंह मेरे गाँव में आये , तो मैं कॉलेज के लिए बहुत दान दूँगी । "भूरो देवी के गाँव में कलेक्टर भगवान सिंह को बाबू लेखराज सिंह और क्षेत्र के प्रमुख व्यक्ति हाथी पर बिठा कर ले गये । भूरो देवी ने इन सभी का बड़ा सम्मान किया। उस समय भी भजनोपदेशक पृथ्वी सिंह बेधड़क ने भजन गाकर कहा,'आगरे से भगवान आये,लेकर खान आये,भूरो के गुलिस्तां में। 'भूरो देवी ने बड़ी अच्छी दावत दी और 27 बीघा जमीन दी ,जिसकी उस समय कीमत लगभग चार हज़ार रुपए बनती थी ,कॉलेज को दान में दी। चंदा कमेटियों का जो गठन हुआ, उन्होंने अपना काम आरम्भ कर दिया और गाँव -गाँव जाकर धन एकत्रित किया तथा गाँवों के नाम से कमरे बनवाने का ऐलान किया गया। प्रत्येक परिवार से कम से कम पांच रुपये प्रति परिवार चंदा लिया गया ,जिसमें प्रधान रतीराम दुजाना ,नम्बरदार फौजदार सिंह ठेकेदार -बादलपुर ,छीतर सिंह -वैदपुरा, चौ0 रामस्वरूप -सातलका , चौ0 रुमाल सिंह-मिलक लच्छी , चौ0 महबूब सिंह आदि दादरी की पश्चिम की एक टोली में थे। दूसरी टोली में चौ0 शादीराम ,नम्बरदार रज्जू सिंह, चौ0 जसवंत सिंह, बलवंत सिंह , चौ0 डब्लू सिंह, चौ0 हरलाल सिंह,सिंह आदि - आदि लोग सम्मिलित थे।इन्होने विद्यालय के लिए अपने - अपने क्षेत्र से काफी धन व कमरे बनवाने का ऐलान किया। रक्षामंत्रालय से प्राप्त पंद्रह एकड़ जमीन पर विद्यालय का आलिशान भवन बनना आरम्भ हो गया तथा कमरे बनवाने वालों ने अपने कमरे बनवाने शुरू कर दिए। इस प्रकार सन 1952 -53 में विद्यालय को इंटरमीडिएट स्तर की मान्यता प्राप्त हो गयी और विद्यालय चौ0 शादीराम की अध्यक्षता व बाबू जी की प्रबंधक वाली कमेटी की देख रेख में दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की करने लगा। हर वर्ष माह दिसंबर में कॉलेज में तीन दिनों तक वार्षिक उत्सव होता था ,जिसमें देश के महान नेता,उपदेशक ,समाजसुधारक,दानदाता ,विद्यालय को खुले दिल से दान देते थे। एक बार की घटना है कि चौधरी रज्जू सिंह के नेतृत्व में विद्यालय के लिए दान प्राप्ति हेतु कुछ मान व्यक्तियों की कमटी चंदा वसूली के लिए ग्राम सादौपुर में गयी ,जहाँ पर चौधरी रज्जू सिंह को यह सूचना दी गयी कि उनके बड़े पुत्र का स्वर्गवास हो गया है ,इस पर नम्बरदार रज्जू सिंह ने दुखी होकर कहा की मेरा छोटा पुत्र रणवीर सिंह भी स्वर्ग सिधार जाए तो मैं अपनी संपूर्ण चल व अचल संपत्ति विद्यालय को दान में दूंगा। इस प्रेरक भावना ने विद्यालय के शुभ चिंतकों और शिक्षा प्रेमियों को बहुत उद्वेलित और प्रोत्साहित किया। विद्यालय उन्नति के शिखर पर बढ़ता चला गया और उत्तर प्रदेश की एक मान्य संस्था के रूप में स्थापित हो गया। बाबू लेखराज सिंह और उनके सहयोगी प्रबंधक कमेटी के पदाधिकारी एवं सदस्यगणों ने विचार करना आरम्भ कर दिया कि हमारी यह संस्था,'गुर्जर एंग्लो संस्कृत इण्टर कॉलेज 'डिग्री कॉलेज होना चाहिए। इसके लिए हज़ार रुपये फीस एवं आवेदन पत्र विश्वविद्यालय में प्रेषित किया गया,परन्तु उसके लिए सार्थक प्रयास नहीं हो पाया।सन 1965 में जब मेरठ विश्वविद्यालय की स्थापना हुई और उसके प्रथम उपकुलपति राजा बलवंत सिंह राजपूत कॉलेज के प्राचार्य डॉ. राम करण सिंह थे,को मेरठ विश्वविद्यालय का उपकुलपति बनाया गया। डिग्री कॉलेज की मान्यता हेतु 1000 रुपये शुल्क व आवेदन पत्र मेरठ विश्वविद्यालय ,मेरठ में प्रेषित किया गया। डॉ. रामकरण सिंह से बाबू लेखराज सिंह , मा. हरबंश सिंह, चौ0किशनलाल निशंक -लुहारली सिकंदराबाद इण्टर कॉलेज में मिले। उन्होंने आश्वासन दिया कि मैं कल मौके का निरीक्षण करने आ रहा हूँ। वे दूसरे दिन प्रातः 8 बजे दल बल के साथ विद्यालय में उपस्थित हुए। उनके सामने क्षेत्रीय जनता के गणमान्य व्यक्तियों को उपस्थित किया गया ,जिन्होंने विद्यालय को डिग्री कॉलेज बनवाने की उनसे प्रार्थना की और प्रबंधक कमेटी से क्षेत्रीय लोगों से मिलकर बहुत प्रभावित हुए और आश्वासन दिया कि आपका कॉलेज सिकंदराबाद से पहले डिग्री कॉलेज हो जायेगा। उनके इस आश्वासन से उत्साहित होकर प्रबंधक कमेटी जिसमें बाबू लेखराज सिंह,मा.हरबंश -जमालपुर ,चौधरी रघुराज सिंह -अछेजा ,चौधरी तेज सिंह -देवटा , चौ0 रामचन्द्र विकल , चौ0 हरी सिंह -घरबरा , चौ0 हरलाल सिंह -पीपलका ,मुंशी खचेडू सिंह -मकौड़ा ,नेपाली स्वामी सिकंदराबाद , चौ0 मान सिंह -बिसरख , चौ0 जग्गू सिंह -गुरसदपुर , चौ0 लाल सिंह -मुरसदपुर ,किशनलाल निशंक -लुहारली , चौ0 भिखारी सिंह -कैलाशपुर ,कैप्टन शिव कला सिंह -चिटेहरा , चौ0हरद्वारी सिंह -चिटेहरा , चौ0 रणवीर सिंह- नई बस्ती , चौ0 कैलाश सिंह बुलंदशहर , चौ0 अमीचंद -बम्बावड , चौ0 कल्ला सिंह -साकीपुर , चौ0री हरबंश सिंह -घरबरा , चौ0 रघुवीर सिंह नवादा , चौ0 रामफल सिंह राव जी दादरी , राव राजाराम – कठैहरा, राव रणजीत सिंह -डिटटी ,रामनारायण सिंह ,लेफ्टि कर्नल डी.सी.एस.,प्रताप सिंह लालपुर मेरठ , राजपाल सिंह, जगदीश पाल, पुत्रगण ठेकेदार झब्बर सिंह -दुर्गेशपुर मेरठ, मंशाराम -करावल नगर,मंशा सिंह -महावा , चौ0 रामफल सिंह- सिरसा , चौ0 दयाराम ,हरकिशन -तिहाड़ दिल्ली , चौ0 गोविन्द सहाय - लढ़पुरा ,प्रधान लक्खी सिंह -ब्रोन्डी , चौ0 वेदराम नागर -गुलावठी आदि ने गाँव -गाँव जाकर चन्दा इकट्ठा करके कमरे बनवाए और अध्यापकों एवं छात्रों ने मिहिर भोज डिग्री कॉलेज की नींव खुदवानी आरम्भ कर दी जिसके उपलक्ष में यशपाल वैद्य जी ,दादरी ने 100 /-बतासे मंगवाकर बंटवाए। इस प्रकार डिग्री कॉलेज का भवन बनना आरम्भ हो गया जिसकी आधारशिला केंद्रीय शिक्षा मंत्री त्रिगुण सेन के द्वारा 4 दिसंबर 1966 को रखी गयी तथा विद्यालय के भवन बनाने का कार्य प्रारम्भ हो गया। प्रबंधक कमेटी और विद्यालय शुभचिंतकों के प्रयास से मेरठ विश्वविद्यालय के उपकुलपति डॉ रामकरण सिंह से भौतिक विज्ञान ,रसायन विज्ञान, गणित ,अंग्रेजी,हिंदी ,की मान्यता के लिए लखनऊ कुलपति अपनी पुरजोर संस्तुति सहित आवेदन पत्र भेज दिया गया बल्कि इस मान्यता में विद्यालय कमेटी की यह विशेषता रही कि उसने सबसे पहले मान्यता वैज्ञानिक वर्ग में ही प्राप्त की जिसमे बहुत ही व्यय था। कुलपति से मान्यता दिलाने में गवर्नर के सचिव श्री चेतन स्वरुप भटनागर सिकंदराबाद वाले का विशेष योगदान रहा ,परन्तु बाबू लेखराज सिंह व उनके पूर्ण सहयोग से एक आलीशान भवन बनवाया गया और पुस्तकालय और प्रयोगशाला को सामान से सुसज्जित किया गया। इसके बाद जुलाई सन 1968 में चांसलर महोदय की ओर विधिवत वैज्ञानिक मान्यता प्राप्त हो गयी और विद्यालय में प्रधानाचार्य व प्रवक्ताओं की नियुक्ति करके शिक्षण कार्य आरम्भ कर दिया गया। सन 1972 में बाबू तेज सिंह एवं लेखराज सिंह के अथक प्रयास से साहित्यिक वर्ग में भी डिग्री की मान्यता प्राप्त हो गयी। विद्यालय अपनी गति से प्रबंधक समिति व अन्य व्यक्तियों के सहयोग से उत्तरोत्तर आगे बढ़ता रहा और विद्यालय को क्षेत्रीय सहयोग भी तन -मन - धन से मिलता रहा ,साथ ही मंत्री तेज सिंह के प्रयास एवं सक्रिय सहयोग से सन 1976 में विद्यालय यू.जी.सी. के अनुदान पर आया। इस बीच विद्यालय का समस्त व्यय अध्यापकों एवं प्रधानाचार्य का वेतन आदि प्रबंध तंत्र ने अपने निजी स्रोतों से वहन किया। बाबू लेखराज सिंह जी की प्रबल इच्छा रही कि लड़कों के साथ - साथ लड़कियों की शिक्षा की भी व्यवस्था होनी चाहिए। ये विचार जब उन्होंने विद्यालय की प्रबंधक कमेटी तथा विद्या प्रेमियों के सामने रखी तो उन्होंने इसका पुरजोर समर्थन किया और उन्होंने तन ,मन ,धन, से सहायता करने का वचन दिया। बाबूजी ने कन्या विद्यालयों की प्रशासनिक योजना व संविधान बनाया तथा उनकी विभाग से मान्यता प्राप्त की। इस क्रम में सबसे पहले मिहिर भोज बालिका इण्टर कॉलेज सन 1992 में आरम्भ किया गया जिसकी आधार शिला चौ0 इकराम सिंह -खानपुर दिल्ली द्वारा रखी गयी। बाबूजी को जो विशेष रूप से सहयोग दिया उनमें चौ0 विद्याराम सफीपुर ,प्रभु सिंह भाटी बढ़पुरा ,कैप्टन शिवकला -चिटहरा , राजपाल सिंह चिटहरा ,महीपाल सिंह कसाना नंगला , चौ0 रघुराज सिंह अच्छेजा , चौ0 रघुवर सिंह नवादा , जग्गू सिंह ,मुर्शदपुर,मा.राजाराम नागर दुजाना ,मा.मूलचंद कसाना जावली , चौ0 वेदराम सिंह गुलावठी , चौ0 मंशाराम करावल नगर दिल्ली , चौ0 कमल सिंह विघूड़ी सातलका प्रधान ,सर्वजीत शास्त्री लुहारली , चौ0 मथन सिंह नई बस्ती , चौ0 रघुराज सिंह -आकिलपुर , चौ0 धर्मपाल सिंह पटवारी -रूपवास ,नरेश भाटी जिला पंचायत अध्यक्ष -रिठोरी , चौ0 महेंद्र प्रताप सिंह मंत्रीपाली मोहबताबाद हरियाणा, चौ0 रणवीर सिंह पाली, चौ0, जिले सिंह बिशनपुर , चौ0 नारायण वीर सिंह गुर्जर कॉलोनी -दादरी , चौ0 चंद्रपाल सिंह अफजलपुर ने भरपूर सहयोग किया,सभी कक्षों का निर्माण कराया। विद्यालय के सहयोग देने वाले समाज के अनेक व्यक्तियों जिनमें चौधरी जसवंत सिंह एक्साइज इंस्पेक्टर मदनपुर दिल्ली ,कृषि मंत्री चौधरी यशपाल सिंह तितरो सहारनपुर ,संसद सदस्य चौधरी अवतार सिंह भड़ाना अनंगपुर , चौ0 सरदार सिंह जौनापुर देहली , चौ0 दीपचंद व त्रिलोकचंद मावी भट्टा वाले बुलंदशहर , चौ0 काले सिंह गंगोल, चौ0 हेमसिंह भड़ाना ऐरा कन्ट्रेक्शन कंपनी देहली (नराहड़ा वाले ),गृहमंत्री के.एल. पोसवाल हरियाणा ,कल्याण सिंह मंत्री पलवल ,राव नरसिंह पाल कौडक कैथल हरियाणा ,ब्रजपाल सिंह व करतार सिंह संबंधी किशनपाल निशंक , चौ0 विद्याराम सफीपुर वालों के संबंधी मोडबंध देहली वाले ,रघुवीर शास्त्री जमालपुर ,सुरेन्द्र सिंह एम. एल. सी. पुत्र श्री वेदराम नागर ,लखीराम नागर पूर्व एम. एल. सी., चौ0 राजेंद्र एवं रविन्द्र सिंह आदि पुत्रगण चौ0 भागमल सिंह , सूबेदार वेद प्रकाश -सादोपुर ,नत्थू सिंह व फ़कीर चंद देवटा व प्रबंध तलवार साहब आदि ने कॉलेज को भरपूर सहयोग दिया।कमरे बनवाए गत वर्ष में मिहिर भोज इण्टर कॉलेज के प्रशासनिक निर्माण मैं श्री रवि गौतम एम. एल. सी. पूर्व कैबिनेट राजस्व मंत्री उत्तर प्रदेश व मलूक नागर ने भरपूर सहयोग दिया तथा बिजेन्द्र सिंह व श्रीपाल आदि पुत्रगण रामचन्द्र प्रमुख दादरी ने एक कक्ष व मुख्य द्वार का निर्माण भी करवाया। मिहिर भोज बालिका डिग्री कॉलेज गौतम बुद्ध नगर की स्थापना 2 सितम्बर 1994 को दादरी क्षेत्र की आवश्कताओं के मद्देनजर की गयी। इस क्षेत्र में लड़कियों के शिक्षा ग्रहण करने के लिए दूर -दराज तक स्नातक स्तर पर कोई भी कॉलेज नहीं था। क्षेत्र में संभ्रांत ,शिक्षित तथा कर्मठ कार्यकर्ताओं में स्नातक स्तर पर कॉलेज खोलने की तीव्र इच्छा जागृत हुई और उन्होंने युद्ध स्तर पर इसकी सम्पूर्ण तैयारी प्रारम्भ कर दी तथा 2 सितम्बर 1994 को तत्कालीन मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश माननीय मुलायम सिंह यादव मुख्य अतिथि के तौर पर मिहिर भोज कॉलेज के विशाल समारोह में उपस्तिथ हुए। समारोह की अध्यक्षता माननीय राजेश पायलेट तत्कालीन गृहराज्य मंत्री (आंतरिक सुरक्षा)भारत थी। इस अवसर पर माननीय नरेंद्र भाटी ने राजनीतिक प्रतिष्ठा दांव पर लगाकर माननीय मुलायम सिंह जी से ऐन मौके पर मिहिर भोज बालिका डिग्री कॉलेज के निर्माण के लिए दस लाख रुपये स्वीकृत कराये। बाद में सरदार भाग सिंह ने बाबू लेखराज सिंह ,नारायणवीर सिंह व चौ0 विद्याराम जी की प्रेरणा से अपनी पुत्री प्रतिपाल कौर के नाम से 20 लाख रुपये का दान दिया।
किशनलाल निशंक की धर्मपत्नी श्रीमती चन्द्रवती देवी लुहारली ,प्रधान छिद्दा सिंह मसौदा ,जयचंद चिल्ला ,शेर सिंह घोड़ी वाले नया बॉस नोएडा , प्रकाश सिंह प्रमुख पाभी लौनी ,सरदार परविंदर सिंह ,प्रधान तेगा सिंह दुजाना ,सरदार सिंह मकौड़ा ,प्रधान राजेंद्र सिंह मकौड़ा,कमल सिंह सातलका ,यादराम नेता जी रिठौड़ी ,जुझारू नेता गुर्जर गौरव स्व० श्री महेंद्र सिंह भाटी पूर्व विधायक दादरी जो गुर्जर विद्या सभा कार्यकारिणी के उपाध्यक्ष रहे और इस पद पर रहते हुए उन्होंने विद्यालय की प्रगति और उन्नति में बहुत सहयोग किया। इसके बाद मिहिर भोज बालिका इण्टर कॉलेज की मान्यता प्राप्त करने में श्री नरेंद्र सिंह भाटी विधायक सिकंदराबाद ,श्री समीर भाटी का पूरा -पूरा योगदान प्राप्त किया। बिजेंद्र सिंह भाटी पूर्व अध्यक्ष जिला पंचायत गौतम बुद्ध नगर से भी विद्यालय के लिए सहयोग प्राप्त किया।
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