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Post by vij on Mar 11, 2014 0:34:17 GMT 5.5
JAIPUR: As the countdown begins for the general elections 2014, nearly a dozen of the state's 25 constituencies have emerged as hot seats for the ruling BJP as well as the opposition Congress.
Winning the five parliamentary constituencies of eastern Rajasthan for which elections would be held in the second round on April 24 have almost become a prestige point for the BJP. This was the region where the entire Vasundhara Raje government camped for 10-days last month, as her ministers went door-to-door to address public grievances. The BJP highlighted the event to showcase its commitment for 'good and sensitive governance'.
The eastern Rajasthan is also the only region in the state where the Congress got a slight edge over the BJP in the assembly elections three months ago.
The region threw another political surprise as Gujjars fared better than the Meenas in the assembly elections. The BJP capitalized on this change by dropping Prahlad Gunjal of Hadauti region in favour of Hem Singh Bhadana of eastern Rajasthan at the time of cabinet formation. The Congress countered by sending union minister Sachin Pilot (a Gujjar) as the party state president. For the past few years Pilot has been playing a significant role in bringing together the Gujjars and Meenas into the Congress fold.
Further, the Congress has even attempted to woo the Jats of Bharatpur and Dholpur. At the end of its 10-day camping, the Raje government too showered quite a few benefits for the entire Bharatpur division.
The results of the five Lok Sabha constituencies here would be a report card on both the parties' politicking in the region.
The constituencies of Ajmer, Bhilwara, Chittorgarh, Jodhpur and Barmer would be of particular importance for the Congress, as these are presently held by union ministers and the party vice-president Rahul Gandhi's loyalists.
The general elections hold special significance for Rahul and his core team members would be expected to retain these seats. The BJP think tank, on the other hand, is laying even greater emphasis in winning these seats to dent the Congress prospects further.
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vij
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Post by vij on Mar 11, 2014 0:37:29 GMT 5.5
The UPA government’s decision to provide reservations in central jobs to Jats by including them in the OBC category is by no means too little, but it comes too late.
Advertisement Elections for the local high school management committee have just concluded peacefully at Barvala village, with the office-bearers chosen unanimously. A group of men, primarily Jats, are sitting around, and say they often decide how to vote collectively.
Inderveer Singh, whose sister-in-law is the village head, is the group's leader. When asked about the mood for the Lok Sabha polls, he says, "There is a Narendra Modi wave. But we are waiting to see who the BJP picks as the candidate. He must be a local."
Welcoming the UPA's decision to provide reservations in central jobs to Jats by including them in the OBC category, Singh said the community was facing a crisis. "The land is fragmented. Cost of production is high but returns are low. And because we are educationally backward, we are not adequately represented in the government."
The move, however, is not enough to tilt him back to Ajit Singh's Rashtriya Lok Dal, the community's traditional favourite. Jats in west UP have been unhappy with the UPA ally for not taking a more belligerent anti-Muslim stance during the Muzaffarnagar riots last year. "I have always voted for the RLD. But this time, we will vote Modi to prevent another Pakistan. If Ajit Singh had resigned then and joined us, he would have got 20 seats," says Sukhbir Singh, an elderly lawyer from Pinna village, which falls within the Bijnor Lok Sabha seat.
Sukhbir Singh belongs to the village's most prosperous Jat family. His nephew, Himanshu, had attended the September 7 Jat Mahapanchayat, notable for its inflammatory speeches. He was on a tractor which had been allegedly attacked by a group of people from the Muslim community while returning from the gathering.
His other nephew, Subodh Kumar, chips in, with a smile, "Didn't Congress spend Rs. 3000 crore in Rajasthan before the elections? Did they win? Reservations will be a similar story." Another family member adds, "What use are the reservations when 90% Jat boys in the area have cases of murder, loot and rape against them?"
RLD district-level leaders appear to be well-aware of the realities.
Shuffling between phones, as he spoke to transporters to ferry supporters to a party rally later in the day, a top city leader told HT on Sunday morning, "We are in a pitiable condition in Muzaffarnagar. Jats will vote for BJP."
When asked if the reservations would help the UPA, "No. People are saying thank you, but ask them for a vote, and they say not this time." He added that the seat had fallen under the Congress quota, which had put up a Gujjar leader, Suraj Verma. "The contest will be between BJP, which will put up a Jat, and BSP's Muslim candidate, Qadir Rana."
On the day his party chairman was to justify RLD's alliance with Congress at a rally in Amroha, the district leader added, with a tinge of regret, "We should have gone with BJP."
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vij
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Post by vij on Mar 11, 2014 0:40:59 GMT 5.5
गौतमबुद्ध नगर लोकसभा क्षेत्र से बीएसपी ने अब अपने नए प्रत्याशी सतीश अवाना के नाम का औपचारिक ऐलान कर दिया है। रविवार को पार्टी के वेस्ट यूपी के संगठन प्रभारी राज्यसभा सदस्य मुनकाद अली ने उनके नाम की घोषणा करते हुए कहा कि पार्टी अध्यक्ष ने सभी कार्यकर्ताओं को निर्देश दिया है कि गौतमबुद्ध नगर सीट से एक बार फिर बीएसपी की जीत सुनिश्चित करने में सभी जुट जाएं।
सेक्टर-38 में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुनकाद अली ने कहा कि सुरेंद्र नागर का टिकट पार्टी ने काटा नहीं था बल्कि उन्होंने खुद ही पार्टी से चुनाव ना लड़ने का इच्छा जताई थी। दो साल पहले मायावती ने सुरेंद्र नागर को चुनाव लड़ने को कहा था, लेकिन पिछले कुछ महीनों में पार्टी कार्यक्रमों में उनकी रुचि कुछ कम हो गई थी। चार दिन पहले उन्होंने अपनी उलझन पार्टी के सामने रखी। कार्यकर्ताओं की सलाह के लिए शुक्रवार को मीटिंग रखी गई थी। इस मीटिंग में हुए फैसले से बहन मायावती को अवगत कराया गया।
इस पर उन्होंने अपनी स्वीकृति सतीश अवाना के नाम पर दे दी। इस दौरान पार्टी के वेस्ट यूपी के सह कोऑर्डिनेटर गोरे लाल जाटव, लालजी चौधरी के साथ ही दादरी के विधायक सत्यवीर सिंह गुर्जर, जेवर से पार्टी के विधायक वेदराम भाटी, पूर्व मंत्री करतार सिंह नागर, एमएलसी अनिल अवाना, गजराज नागर, ओमदत्त शर्मा, जिलाध्यक्ष प्रदीप भारती, एडवोकेट इंद्रवीर भाटी आदि मौजूद थे।
संगठन से बढ़ रही थी दूरी बीएसपी के सूत्रों की मानें तो पिछले एक साल से सांसद और संगठन के बीच की दूरी लगातार बढ़ रही थी। वे पार्टी के पदाधिकारियों के बुलाने पर भी कार्यक्रम में नहीं जाते थे। इस व्यवहार की भनक मायावती को लग चुकी थी। कार्यकर्ताओं से मिली रिपोर्ट के आधार पर पार्टी ने सुरेंद्र नागर से किनारा करना शुरू कर दिया। इस बीच पार्टी ने उनके अन्य पार्टियों के साथ संपर्क का भी पता लगाया।
बीएसपी की टक्कर बीजेपी से अली ने कहा कि यूपी में बीएसपी लगभग 65 सीटें जीतेगी। यहां पार्टी की टक्कर बीजेपी से है। पार्टी की सुप्रीमो पहले ही संकेत कर चुकी हैं कि किसी भी कीमत पर नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनने से रोकना ही उनका टारगेट है। सांप्रदायिक ताकतों को रोकने के लिए उन्होंने पिछले चुनाव कांग्रेस को सपोर्ट किया था।
कौन हैं सतीश अवाना मायावती के कार्यकाल में यूपी जल निगम के उपाध्यक्ष के पद पर रहे 51 वर्षीय सतीश अवाना को तब राज्य मंत्री का दर्जा दिया गया था। वे मायावती के वफादार कार्यकर्ताओं में से एक हैं। मूल रूप से हरौला गांव के निवासी अवाना के पिता नरपत सिंह भी हरौला गांव के दस साल तक प्रधान रहे।
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Post by vij on Mar 11, 2014 0:47:01 GMT 5.5
दक्षिण दिल्ली संसदीय क्षेत्र में होगी इस बार कांग्रेस की अग्नि-परीक्षा
5 साल पहले तक बाहरी दिल्ली संसदीय क्षेत्र मतदाताओं की संख्या अत्याधिक होने से देश का दूसरे नम्बर का सबसे बड़ा संसदीय क्षेत्र था। लेकिन गत लोकसभा चुनाव में इसका अस्तित्व तीन संसदीय क्षेत्रों में विलीन हो गया। अब बाहरी दिल्ली का इलाका दक्षिण दिल्ली संसदीय क्षेत्र के नाम से जाना जा रहा है। एक जमाने में कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाले इस संसदीय क्षेत्र गत विधानसभा चुनाव में सभी 10 सीटों पर चुनाव हारकर कांग्रेस को जबरदस्त आघात पहुंचा है। इसकी मुख्य वजह एक यह भी है कि यहां से जाट बाहुल्य इलाका जैसे नजफगढ़ और मटियाला आदि कई विधानसभा क्षेत्र परिसीमन के बाद दक्षिण दिल्ली से कटकर पश्चिमी दिल्ली संसदीय क्षेत्र में मिल गए हैं लेकिन गुर्जर बाहुल्य विधानसभा क्षेत्र दक्षिण दिल्ली में ही है। इसके साथ ही काफी संख्या में झुग्गी-झोंपड़ी कालोनी और अनधिकृत कालोनियां भी इस इलाके से कटकर अन्य संसदीय क्षेत्रों के साथ जुड़ गईं। गत विधानसभा के चुनाव में 10 में से केवल 3 सीटों पर कांग्रेस के उम्मीदवार दूसरे नम्बर पर रहे जबकि 2 प्रत्याशी अपनी जमानत तक नहीं बचा सके। जिन विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस के उम्मीदवार अपनी जमानत बचाने में नाकामयाब रहे, उनमें तुगलकाबाद से ओमप्रकाश बिधूड़ी और पालम से पश्चिमी दिल्ली के सांसद महाबल मिश्रा के बेटे विनय मिश्रा शामिल हैं। तुगलकाबाद विधानसभा सीट पर भाजपा के रमेश बिधूड़ी ने अपना कब्जा कायम रखा जबकि पालम सीट पर भी भाजपा का प्रत्याशी विजयी रहा। दक्षिण दिल्ली के 3 विधानसभा क्षेत्रों से चुनाव लडऩे वाले तीन दिग्गज नेताओं प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष चौ. प्रेम सिंह को अम्बेडकर नगर से, पूर्व अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा को कालकाजी से और दिल्ली विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष डॉ. योगानंद शास्त्री को महरौली से पराजय का सामना करना पड़ा। चौ. प्रेम सिंह राजधानी में कांग्रेस के एकमात्र ऐसे नेता थे, जिन्होंने अपने जीवन में कभी चुनाव नहीं हारा था। इसलिए उनका नाम गिनीज बुक में दर्ज किया गया था। लेकिन गत विधानसभा चुनाव में वह भी तीसरे स्थान पर पहुंच गए। एक जमाने में बाहरी दिल्ली कांग्रेस का गढ़ माना जाता था। इस इलाके में कांग्रेस के दिग्गज नेता सज्जन कुमार का कब्जा था। शायद कोई गांव ऐसा होगा जहां सज्जन कुमार का सीधा सम्पर्क नहीं है। गत लोकसभा चुनाव में सिख समुदाय के लोगों द्वारा उन्हें टिकट दिए जाने का कड़ा विरोध किए जाने पर पार्टी ने उनके छोटे भाई रमेश कुमार को प्रत्याशी बनाया था और इस सीट पर कब्जा बरकरार रखा।
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Post by vij on Mar 11, 2014 0:55:59 GMT 5.5
जयपुर। कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को देवली में चुनावी बिगुल फूंका। राहुल ने भाजपा पर करारा हमला बोलते हुए उसे भ्रष्टाचार में नम्बर 1 पार्टी बताया। राहुल ने एक बार फिर कहा कि हम अधिकारों की राजनीति करते हैं। कांग्रेस गरीबों की सरकार चलाती है। राहुल ने राज्य की वसुंधरा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि हम भाजपा को भ्रष्टाचार नहीं करने देंगे। जहां भी गलत काम दिखाई देगा, हमारे कार्यकर्ता जमीन पर उतरेंगे और उसका विरोध करेंगे। हम राजस्थान में गरीबों की मदद करना चाहते हैं और यही हमारी लड़ाई है। राहुल ने इस मौके पर प्रदेश की पूर्व कांग्रेस सरकार की योजनाओं को लेकर भी भाजपा सरकार को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि हम मेट्रो और दवा योजना के लिए लड़ाई जारी रखेंगे। यहां राहुल ने कांग्रेस की भावी योजना का एलान करते हुए कहा कि उनकी सरकार उद्योगों के लिए रेल कॉरिडोर का निर्माण कराएगी। विधानसभा चुनाव की हार का बदला लोकसभा मे जीत कर लेंगे : सचिन पायलट इससे पहले पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट ने कहा कि हम विधानसभा की हार का बदला लोकसभा चुनाव में लेंगे। कांग्रेस के तिरंगे को हमे दुबारा फहराना है। सचिन ने कहा कि विधानसभा चुनाव में हम हारे जरूर हैं लेकिन हमारा मनोबल नहीं टूटा है। सचिन ने भाजपा पर हमला बोलते हुए कहा कि भाजपा को 60 महीनों के लिए जनता ने चुना लेकिन वो सत्ता में आने बाद महज 60 दिन की योजना पर काम करती रही। अभी तक भाजपा सरकार अपना कोई वादा पूरा नहीं कर पाई है। यहां तक कि कांग्रेस सरकार की मेट्रो व रिफाइनरी परियोजनाओं में भी अड़ंगा डाला है।
राहुल गांधी के संबोधन से पहले पायलट ने नरेन्द्र मोदी, लालकृष्ण आडवाणी और वसुंधरा राजे पर भी निशाना साधा और भाजपा को जनता के साथ छलावा करने वाली पार्टी बताया। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में हमारे कार्यकर्ता विरोधियों की ईंट से ईंट बजा देंगे और पार्टी लोकसभा चुनाव में भारी बहुमत से विजय हासिल करेगी। पायलट के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद राहुल गांधी की प्रदेश में पहली सभा थी, इसलिए यह पायलट के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गई थी। सियासी सवाल: देवली ही क्यों पहुंचे राहुल गांधी राजस्थान में लोकसभा के चुनावी समर का बिगुल बजाने कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी सोमवार को टोंक, कोटा,भीलवाड़ा और अजमेर के बीचों-बीच स्थित देवली पहुंचे। यह पहला मौका नहीं था जब कांग्रेस पार्टी ने देवली को प्रदेश में अपना चुनावी अभियान के आगाज के लिए चुना। इससे पहले 2008 में विधानसभा चुनाव अभियान की शुरुआत भी यहीं से की गई थी। दरअसल, प्रदेश कांग्रेस राजस्थान में ऐसे आयोजनों में केन्द्रीय नेताओं को बुलाती है और इसके लिए हमेशा से कुछ खास स्थान चुने जाते रहे हैं। मसलन, नागौर, बारां, बांसवाड़ा बीकानेर, दूदू और देवली। राजस्थान की पूर्व गहलोत सरकार में पार्टी के बड़े-बड़े कार्यक्रमों का आयोजन इन्हीं स्थानों पर किया गया। ये हैं देवली को चुनने के पीछे सियासी मायने भागौलिक दृष्टि से देवली तीन जिलों और चार प्रमुख शहरों बीचों-बीच स्थित है। साथ ही देवली राजनीतिक परिपेक्ष्य में भी महत्वपूर्ण स्थान है। देवली और आसपास का इलाका मीणा और गुर्जर बाहुल्य है और यहां राजनीति पूरी तरह से इन जातिगत वोटों से प्रभावित रही है। दोनों ही जातियों को कांग्रेस का परम्परागत वोट बैंक माना जाता रहा है लेकिन गत विधानसभा चुनाव में यहां से कांग्रेस को आशानुरुप नतीजे नहीं मिलने से पार्टी अधिक सजग हो गई है। देवली रैली 8 लोकसभा क्षेत्रों को प्रभावित करेगी। इस रैली का असर टोंक, सवाई माधोपुर, कोटा, अजमेर, भीलवाड़ा, जयपुर शहर, जयपुर ग्रामीण, दौसा और करौली-धौलपुर पर भी पड़ेगा। राहुल से पहले सोनिया भी पहुंच चुकी हैं देवली लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के लिए समर्थन मांगने पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी से पहले उनकी मां और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी भी देवली के दौरे पर आ चुकी हैं। 2008 में भी कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव अभियान की शुरुआत यहां से की थी और उस समय स्टार नेता के रूप में सोनिया गांधी यहां पहुंची थी। इसके बाद कांग्रेस राजस्थान में भारी बहुमत से सत्ता में लौटी थी।
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Post by vij on Mar 11, 2014 1:02:25 GMT 5.5
एनबीटी न्यूज, बागपत : चुनाव कार्यक्रमों की घोषणा होते ही जिले में सियासी सरगर्मी तेज हो गई है। बागपत लोकसभा सीट में चुनाव पहले चरण में होंगे। आरएलडी, एसपी, बीएसपी और आप के घोषित प्रत्याशियों के समर्थक क्षेत्र में एकाएक सक्रिय हो गए हैं। बीजेपी इस क्षेत्र से गैर जाट उम्मीदवार पर अपना दांव लगाना चाहती है। क्षेत्र के मूल निवासी मुम्बई के कमिश्नर रहे सत्यपाल सिंह ने बड़ौत में यह दावा किया कि बीजेपी 13 मार्च को उनके नाम की घोषणा करेगी। उन्होंने जाट आरक्षण पर कहा कि यह किसी एक की कोशिश से नहीं, बल्कि पूरे देश में जाट समुदाय के संघर्ष से संभव हुआ है। उन्होंने जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा के कारण दिल्ली के करीब होने के बावजूद यह क्षेत्र आज भी पिछडा हुआ है। केन्द्र में बीजेपी की सरकार बनने पर तेजी से पूरे क्षेत्र का विकास होगा। लोकसभा चुनाव 2009 में आरएलडी-बीजेपी गठबंधन ने बागपत समेत 5 सीटे जीती थी। केंद्र में सरकार बनने के समय आरएलडी कांग्रेस खेमे से जुड गई। अजित सिंह केन्द्र में मंत्री बने। हालांकि बाद में हाथरस और अमरोहा से जीते सांसदों ने पाला बदल लिया। बीजेपी इस सीट पर बदला चुकाने के लिए अपनी गोटियां बैठा रही है। एसपी के टिकट पर डॉ. मैराजुद्दीन ने लगभग 1 लाख वोट लेकर बीजेपी प्रत्याशी सोमपाल की जीत का रास्ता आसान किया है। सोमपाल यह चुनाव जीतकर अटलबिहारी वाजपेई सरकार में केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री बने। इस चुनाव में अभी तक एसपी से विधायक हाजी गुलाम मोहम्मद, बीएसपी से एमएलसी प्रशांत चैधरी (गुर्जर) और आप से सोमेंद्र ढाका घोषित प्रत्याशी है। हाजी गुलाम मोहम्मद बागपत लोकसभा के तहत सिवालखास (मेरठ) से विधायक है। बीएसपी प्रत्याशी प्रशांत चौधरी की पत्नी हेमलता चौधरी बागपत से विधायक है। 'आप' से सोमेन्द्र ढाका भी साफ-सुथरी छवि के कर्मठ लोगों में गिने जाते है।
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Post by vij on Mar 13, 2014 22:21:46 GMT 5.5
जयाप्रदा के खिलाफ RLD में बगावत के शुरू
लखनऊ। राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) सें लोकसभा की बिजनौर सीट सें उम्मीदवार बनाई गई मशहूर फिल्म अदाकारा जयाप्रदा के खिलाफ बगावत के सुर सुनाई पड़ने लगे हैं। आरएलडी ने सांसद संजय सिंह चौहान का टिकट काटकर जयाप्रदा को उम्मीदवार बनाया है । चौहान ने बताया कि जयाप्रदा को टिकट इसलिए दिया गया है, क्योंकि उनके पास अकूट संपत्ति है और उन्हें राजनीतिक संरक्षण दे रहे अमरसिंह के पास बेहिसाब दौलत। उन्होंने कहा कि वह एक साधारण आदमी और राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखने वाले हैं। उन्होने कहा कि उनके पिता चौधरी नारायण सिंह प्रदेश में उप मुख्यमंत्री रह चुके हैं। उनके पिता और वह दोनों ही सामान्य जीवन बिता रहे हैं। उनके पास न तो पैसा है और न ही गलैमर उन्होंने कहा कि यह उनका दुर्भाग्य है कि सन 2009 के लोकसभा चुनाव में अमरसिंह ने ही सपा से उनका टिकट कटवाया था और इस बार भी उनका टिकट कटवाने में सिंह की ही भूमिका है । [b]उन्होंने दावा किया कि उनकी बिरादरी गुर्जर के करीब दो लाख मतदाता बिजनौर में है और उनका टिकट कटने से बहुजन समाज पार्टी उम्मीदवार उत्साहित हैं क्योकि बीएसपी उम्मीदवार गुर्जर हैं और पिछला चुनाव मात्र 35 हजार वोटो से हारा था। उन्होंने कहा कि उनकी आरएलडी अध्यक्ष चौधरी अजित सिंह से बात हुई है । चौधरी साहब का कहना है कि तुम्हें कुर्बानी देनी होगी क्योंकि उनके पास पैसा और गलैमर दोनों है। वह चुनाव जीतकर पार्टी की एक सीट बढ़ा देंगे।[/b][/font] चौहान ने कहा कि उन्होंने अपनें समर्थकों की बैठक बुलाई है। बैठक में अगली रणनीति तय की जाएगी उन्होंने आरएलडी छोड़ने की संभावना से इन्कार नहीं किया और कहा कि वह अब अगला निर्णय समर्थकों की राय से लेंगे। गौरतलब है कि दो दिन पहले आरएलडी में शामिल हुए अमरसिंह को फतेहपुर सीकरी और जयाप्रदा को बिजनौर से उम्मीदवार घोषित किया गया है ।
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Post by vij on Mar 13, 2014 22:33:36 GMT 5.5
मुजफ्फरनगर। चुनाव परिणाम भले ही कुछ भी आएं लेकिन मुजफ्फरनगर से जुड़ी तीन लोकसभा सीटों पर अधिकतर राजनीतिक दलों की पहली पसंद पिछड़ा वर्ग के प्रत्याशी ही बन रहे हैं। एक-दो को छोड़कर सपा, बसपा, भाजपा सहित कांग्रेस भी इन तीनों सीटों पर अगड़ी जाति के प्रत्याशियों पर दांव लगाने की हिम्मत मुश्किल से ही जुटा पा रही है। अब तक घोषित प्रत्याशियों में अधिकतर पिछड़ा वर्ग से ही हैं। पिछड़ों में भी गुर्जर प्रत्याशी ही सब की पहली पसंद बने हैं। मुजफ्फरनगर जनपद का मतदाता इस बार तीन लोकसभा क्षेत्रों का चुनाव प्रभावित करने जा रहा है। मुजफ्फरनगर और बिजनौर सीट पर हार-जीत का दारोमदार लगभग इसी जनपद पर है, जबकि कैराना सीट पर भी जनपद के करीब 28 हजार (शामली विधानसभा) से अधिक मतदाता चुनाव परिणाम प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं। तीनों ही सीटों पर पिछड़ा वर्ग की जातियों का मत प्रतिशत 50 से ऊपर है। ऐसे में इक्का-दुक्का राजनीतिक दलों को छोड़कर अधिकतर अगड़ों पर दांव लगाने से गुरेज कर रहे हैं। मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने जहां चौ सूरत सिंह वर्मा, सपा ने चौ वीरेन्द्र सिंह, बिजनौर सीट पर बसपा ने मलूक नागर तो कैराना सीट पर बसपा ने कंवर हसन, सपा ने नाहिद हसन को पार्टी प्रत्याशी घोषित किया है। हालांकि यहां से भाजपा व रालोद ने अभी तक अधिकारिक तौर से अपने प्रत्याशी की घोषणा नहीं की है लेकिन इस दौड़ में क्रमश: चौ हुकुम सिंह व चौ करतार भड़ाना का नाम सबसे आगे है। ये सभी प्रत्याशी गुर्जरों से ताअल्लुक रखते हैं। जाट से अधिक गुर्जरों पर भरोसा अब तक घोषित पार्टी प्रत्याशियों में एक भी जाट प्रत्याशी का नाम नहीं है। जबकि मुजफ्फरनगर पर दो, बिजनौर में एक व कैराना में घोषित दो प्रत्याशी गुर्जर समाज से ही हैं। हालांकि तीनों ही सीटों पर भाजपा ने अपने पत्ते अभी तक नहीं खोले दो अगड़ो पर बड़ी पार्टियों का दांव मुजफ्फरनगर जनपद से जुड़ी तीन सीटों पर अगड़ी जाति के केवल दो प्रत्याशियों पर बड़ी पार्टी ने दांव लगाया है। इनमें मुजफ्फरनगर से बसपा ने कादिर राना तथा बिजनौर से सपा ने शाहनवाज राना को प्रत्याशी बनाया है।
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Post by vij on Mar 13, 2014 22:51:03 GMT 5.5
बीएसपी छोड़ने वालों की लगी लाइन बीएसपी के कददावर नेताओं का हुआ मोह भंग, दो मंत
एस, ग्रेटर नोएडा : गौतम बुद्ध नगर सीट से बीएसपी सांसद सुरेंद्र नागर का टिकट कट जाने से जिले में बीएसपी के कद्दावर नेताओं का पार्टी से मोहभंग हो गया है। दो मंत्री, एक एमएलए, जिला पंचायत के पूर्व चेयरमैन, नगर पंचायत चैयरमैन, तीन जिला पंचायत सदस्य, पूर्व जिला पंचायत सदस्य समेत सैकड़ों पदाधिकारी और कार्यकर्ता बीएसपी छोड़ गए है। गौतम बुद्ध नगर में बीएसपी के कद्दावर नेता हरिश्चंद्र भाटी ने सैकड़ों कार्यकर्ताओं समेत पार्टी को अलविदा कह दिया। भाटी की पश्चिमी यूपी ही नही, राजस्थान व मध्यप्रदेश की गुर्जर बिरादरी में भी अच्छी पकड़ है। इसके अलावा बिलासपुर नगरपंचायत चेयरमैन सुदेश नागर व उनके पति कुकी नागर भी सैकड़ों समर्थकों के साथ पार्टी छोड़ गए हैं। इससे पहले जिला पंचायत सदस्य योगेंद्र भाटी, पूर्व जिला पंचायत सदस्य तेजपाल नागर, जिला पंचायत सदस्य रविंद्र भाटी, जिला पंचायत सदस्य पुष्पा भाटी, यूपी के पूर्व राजस्व मंत्री रवि गौतम, जेवर के पूर्व एमएलए होराम सिंह, पूर्व जिला पंचायत चैयरमैन बाला देवी समेत दर्जनों नेता बीएसपी छोड़कर दूसरे दलों में जा चुके हैं। सासद समर्थकों को अपने साथ लेने के लिए बीएसपी नेता अब पदाधकिारियों और कार्यकर्ताओं के घर-घर जा रहे है। बीएसपी कार्यकर्ता दिन में घर नही मिलते तो उनके घर पर रात में दस्तक दी जा रही है। बीएसपी के कुछ कार्यकर्ता ओर पदाधिकारियों ने तो अपने मोबाइल तक ऑफ कर दिए हैं या नया नंबर ले लिया है।
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Post by vij on Mar 13, 2014 23:39:07 GMT 5.5
सुखबीर, हातम और मुन्ना की तिकड़ी ने उड़ाई कांग्रेसियों की नींद
प्रमुख संवाददाता, गाजियाबाद जिले में लगातार कमजोर हो रही कांग्रेस के लिए पूर्व विधायक सुखबीर सिंह गहलौत, हातम सिंह नागर और वीरेंद्र मुन्ना सरीखे नेताओं का बीजेपी में जाना जाना बड़ा झटका है। इसने कांग्रेसियों की नींद उड़ा दी है। चर्चा है कि अभी जिले की कांग्रेस में और टूटफूट हो सकती है। अगर यहां से स्थानीय बजाए किसी बाहरी व्यक्ति को टिकट थमा दिया गया तो टूट का सिलसिला लंबा चल सकता है। जिले के राजनैतिक समीक्षकों का कहना है कि इन नेताओं के बीजेपी में शामिल होने से लोकसभा चुनाव में इसका फायदा बीजेपी को मोदीनगर, धौलाना और लोनी क्षेत्र में हो सकता है। लोकसभा चुनावों की आहट के साथ ही विभिन्न राजनैतिक दलों में एक दूसरे दलों के नेताओं को अपने-अपने दलों में शामिल करने की होड़ लगी हुई है। हाल में बीजेपी और कांग्र्रेस के कई नेता एसपी में शामिल हुए थे। इसके बाद ही दूसरे दलों में बैचेनी थी। कांग्रेस से मोदीनगर से विधायक और प्रदेश उपाध्यक्ष रहे सुखबीर सिंह गहलौत, पूर्व प्रदेश महासचिव हातम सिंह नागर समेत यूथ कांग्रेस के वीरेंद्र कुमार मुन्ना समेत कई कांग्रेसियों ने बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह के दिल्ली स्थित आवास पर जाकर पार्टी की सदस्यता ग्रहण की। सुखबीर गहलौत, हातम सिंह नागर और वीरेंद्र मुन्ना के बीजेपी के शामिल होने को जहां एक ओर कई भाजपाई पचा नहीं पा रहे हैं वहीं दूसरी ओर राजनैतिक समीक्षक चुनाव के मद्देनजर इसे पार्टी के लिए फायदा का सौदा मान रहे हैं। पूर्व विधायक सुखबीर सिंह गहलौत को खाटी ठाकुर माना जाता है। उनकी मोदीनगर समेत मसूरी और धौलाना क्षेत्र में अच्छी पकड़ है। पूर्व के लोकसभा चुनावों में साठा चौरासी(ठाकुर बाहुल्य 84 गांव) क्षेत्र में बड़ी संख्या में ठाकुरों ने ठाकुर जाति के राजनाथ सिंह को काफी सहयोग किया था। इस बार सुखबीर को यदि इस क्षेत्र में लगाया तो बीजेपी को लाभ मिलेगा। वहीं दूसरी ओर हातम सिंह नागर गूर्जर जाति के होने और लोनी में अच्छी पकड़ होने के कारण वह बीजेपी कैंडिडेट को लोनी क्षेत्र में मदद करेंगे। जबकि वीरेंद्र मुन्ना बाह्मणों के संगठन सर्वसमाज ब्राह्मण समाज के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष होने के कारण बीजेपी के पक्ष में बाह्मणों का रुझान कर सकते हैं। इधर कांग्रेस के महानगर अध्यक्ष ओमप्रकाश शर्मा का कहना है कि कुछ कांग्रेसी जरुर गए है परंतु जिले में कांग्रेस मजूबत है।
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