singh
New Member
Posts: 6
|
Post by singh on Mar 26, 2010 21:02:05 GMT 5.5
READYING FOR ANOTHER BATTLE?
Gujjars divided over another stir
Bhadana, Kasana Express Solidarity With Govt, Gunjal Maintains Equidistance
TIMES NEWS NETWORK
Jaipur: The Gujjar community has found itself once again drawn into agitations over the issue of reservation. Even as Gujjar patriarch Kirori Singh Bainsla prepares to lock horns with the Gehlot government, his detractors in the community like Attar Singh Bhadana and Ramswaroop Kasana have come out in support of the latter. Nearly 250 Gujjars gathered under Kasana’s leadership at the Ramleela Ground here and marched through MI Road to reach Shaheed Smarak on Thursday and continued to demonstrate for nearly three hours. The demonstrators were holding placards demanding a peaceful solution to the issue. However, the issue in question was not discussed at the gathering as they were more focused at cutting the agitating leader to size. They even showed less concern over the government decision to initiate recruitments before implementation of the promised quota to them. “He (Bainsla) is misleading the community. There is no need of agitation as the government is open for discussion and we are contended with the assurances made by the chief minister,” said Kasana. Among other prominent Gujjar leaders to showed up at the demonstration were Hari Singh, Gopi Chand Gujjar, Ramveer Vidhudi and Vikram Gujjar. Despite being a pro-government demonstration, the city administration handled the gathering with high precaution. The rally was even diverted away from the Statue Circle and the procession was accompanied by police to avoid any untoward incident. Ever since the Gujjars displayed its united strength three years ago, many fractions have developed within the community. Bainsla had already lost the support of many such leaders before he went for the second agitation. After he contested on a BJP ticket, the number of his rivals further increased. But all is not well in the anti-Bainsla camp either as many of them refrained from taking sides. “Even as the government has not been much supportive towards the community, Bainsla must be stopped from motivating the community youths for extreme actions,” said Prahlad Gunjal, one such leader. “Bainsla compromised the issue after spearheading the first agitation. His second agitation had been on instruction of the then government. The present one is just an attempt to keep up his political standing,” he alleged. The Gujjar agitation had initially commenced with demand of inclusion of the community among the Scheduled Tribes, which was faced with resentment from the Meena community. Though the government took a middle path, the agreement reached with Gujjars is under legal procedures. But by then, the Gujjar leadership was a divided house, bringing things to this pass now.
|
|
singh
New Member
Posts: 6
|
Post by singh on Mar 30, 2010 21:58:59 GMT 5.5
Thursday, March 25, 2010 जयपुर कूच : किसका क्या मत बैसला के पांच प्रतिशत विशेष आरक्षण की मांग को लेकर 26 मार्च को जयपुर कूच पर गुर्जर समाज के राजनेताओं ने अलग-अलग राय व्यक्त की है। अधिकांश नेताओं ने अपने आप को आंदोलन से अलग रखा है। जयपुर की पूर्व महापौर शील धाभाई एवं गंगापुर सिटी से भाजपा नेता मानसिंह गुर्जर ने आंदोलन में बैसला का साथ देने की बात कही है। कोर्ट के फैसले की प्रतीक्षा करनी चाहिए : गार्ड पूर्व जिला प्रमुख एवं राजस्थान गुर्जर महासभा के प्रदेशाध्यक्ष रामगोपाल गार्ड का कहना है कि हमारे आरक्षण का मामला कोर्ट में है। फैसला होने तक सरकार ने जो सहूलियतें गुर्जर युवाओं को दी हैं वे पर्याप्त हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि इस आंदोलन से बैसला कोई राजनीतिक लाभ लेना चाहते हैं। पहले ही हमारे 71 लोग मारे गए और कोई नतीजा भी नहीं निकला। हमें कोर्ट के फैसले की प्रतीक्षा करनी चाहिए। बैसला पर विश्वास नहीं किया जा सकता : नाथूसिंह पूर्व विधायक-सांसद (भाजपा) नाथूसिंह गुर्जर का कहना है कि हम गुर्जरो के 5 प्रतिशत आरक्षण के साथ हैं, लेकिन आंदोलन की स्टाइल सही नहीं है। जब विधेयक आया था, तब हमने 14 और 5 प्रतिशत आरक्षण को अलग करवाने के लिए कहा था। परंतु बैसला ने बात नहीं मानी। अब तक आरक्षण नहीं मिलने के लिए भी बैसला ही जिम्मेदार हैं। उन्होंने एसटी का दर्जा दिए जाने की मूल मांग छोड़ दी और 5 प्रतिशत की मांग पर आ गए। पूर्व के अनुभवों को देखते हुए बैसला जैसे गैर जिम्मेदार लोगों पर भरोसा नहीं किया जा सकता। हम इस बारे मुख्यमंत्री से बात करके रास्ता निकालेंगे। हम अलग से आंदोलन करेंगे : कालूलाल पूर्व ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज मंत्री भाजपा कालूलाल गुर्जर ने कहा कि बैसला भले ही पार्टी के आदमी हैं, लेकिन आंदोलन का फैसला पार्टी का नहीं है। इस आंदोलन का कोई रिजल्ट भी नहीं आना है। हम गुर्जर महासभा की ओर से अलग से अहिंसात्मक आंदोलन करेंगे। मुख्यमंत्री से बात करके कहेंगे कि यह मामला कोर्ट में अटक गया है तो वे 5 प्रतिशत आरक्षण का नया कानून बनाकर विधानसभा में पारित कराएं। हम लडऩे को तैयार बशर्ते बैसला समझौता नहीं करे : गुंजल पूर्व विधायक भाजपा प्रहलाद गुंजल ने कहा कि गुर्जरों को 5 प्रतिशत आरक्षण मिलना चाहिए। बैसला का आंदोलन केवल नौटंकी है। पाटोली का पहला आंदोलन बाई एक्सीडेंट था। उसके बाद के दोनों आंदोलन सरकारी मिलीभगत से हुए थे। हर आंदोलन में बैसला ने अपने लोग मरवाए और सरकार को राहत देने का काम किया। हम 5 प्रतिशत आरक्षण के लिए लडऩे को तैयार हैं, बशर्ते बैसला समझौते की टेबिल पर नहीं जाएगा। यह समाज तय करे। अब कमान गुर्जर महासभा संभालेगी : गोपीचंद अखिल भारतीय गुर्जर महासभा प्रदेशाध्यक्ष गोपीचंद गुर्जर ने कहा कि गुर्जरों को 5 प्रतिशत आरक्षण 50 प्रतिशत में ही मिलना चाहिए। बैसला का आंदोलन सरकारी मिलीभगत का खेल है। डॉ. जितेन्द्रसिंह और बैसला से समाज का भरोसा उठ गया है। इस आंदोलन की कमान अब अ.भा. गुर्जर महासभा संभालेगी। इस मांग को लेकर जयपुर में गुरुवार को रामलीला मैदान से गवर्नमेंट हॉस्टल तक मौन जूलूस निकाला जाएगा। बैसला अब आंदोलन के नहीं, भाजपा के नेता : भड़ाना पूर्व विधायक अतरसिंह भड़ाना ने कहा कि बैसला अब आंदोलन के नहीं बल्कि भाजपा के नेता हैं। उसने वसुंधराराजे से समझौता ही ऐसा किया था, जिससे गुर्जरों को कुछ नही मिले। आर्थिक पिछड़ों का 14 प्रतिशत आरक्षण साथ जुड़वाने से हमारा हक कोर्ट में अटक गया। संविधान में आर्थिक आरक्षण की कोई व्यवस्था ही नहीं है। आर्थिक पिछड़ों की लड़ाई भी हम लड़ेंगे, लेकिन संवैधानिक तरीके से। मैं भी जा रही हूं आंदोलन में : शील धाभाई जयपुर की पूर्व महापौर शील धाभाई ने कहा कि अखिल भारतीय गुर्जर महासभा की महिला विंग ने बैसला के आंदोलन को समर्थन दिया है। मैं भी गुरुवार को आंदोलन में जा रही हूं। सरकार की ओर से दी गई राहत ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। इससे समाज में आक्रोश है। सरकार भर्तियां रोककर जल्दी इस मुद्दे का समाधान निकाले। हम आंदोलन में बैसला के साथ : मानसिंह गंगापुर सिटी के भाजपा नेता गंगापुरसिटी मानसिंह गुर्जर ने कहा कि इस आंदोलन में हम बैसला के साथ हैं। मुख्यमंत्री संवेदनशील होकर इसका हल है। बजट में जो छात्रवृत्ति की घोषणा की है, उसकी पात्रता को तुरंत बहाल करें। सरकार अस्थायी भर्तियां कर सकती हैं। हाईकोर्ट में पक्ष रखने के साथ ही सुप्रीम कोर्ट से हाईकोर्ट के फैसले पर स्टे लेकर आए।
|
|
|
Post by Gujar Rajasthani on Mar 30, 2010 22:08:16 GMT 5.5
"The actual reason of failure of reservation agitation is the attitude of these "SATTA KE DALAAL" from the very begining :
Friday, March 26, 2010 बैंसला गुमराह कर रहे हैं : कसाना
अखिल भारतीय गुर्जर महासभा और युवा गुर्जर महासभा ने रामलीला मैदान से शहीद स्मारक तक शांति रैली निकाली जयपुर. कोटपूतली विधायक रामस्वरूप कसाना ने कहा कि गुर्जर शांतिप्रिय हैं लेकिन उनको कर्नल किरोड़ी बैंसला गुमराह कर रहे हैं। बैंसला यदि वास्तव में गुर्जरों के हित की बात करते हैं, तो उन्हें राजनीति को छोड़कर समाज के साथ रहना चाहिए। कसाना ने समाज के लोगों से अपील की है कि वे किसी भी हिंसक आन्दोलन का हिस्सा नही बने। कसाना शहीद स्मारक पर हुई सभा में संबोधित कर रहे थे। इससे पूर्व अखिल भारतीय गुर्जर महासभा और युवा गुर्जर महासभा की ओर से गुरुवार को यहां रामलीला मैदान से शहीद स्मारक तक शांति रैली निकाली गई। शहीद स्मारक पर पहुंचकर रैली सभा में बदल गई। सभा में गुर्जर महासभा के अध्यक्ष गोपीचंद गुर्जर, पूर्व मुख्य सचेतक हरि सिंह महुआ, पूर्व विधायक अतर सिंह भड़ाना, रामचन्द्र सराधना, रामवीर सिंह विधूड़ी, प्रदेश महासचिव विजेन्द्र सिंह गौरसी, युवा गुर्जर महासभा अध्यक्ष विक्रम सिंह सहित कई प्रतिनिधियों ने भी संबोधित किया। राजस्थान गुर्जर महासभा की बैठक : राजस्थान गुर्जर महासभा की गुरुवार को हुई बैठक में कर्नल बैंसला की ओर से किए जा रहे आंदोलन से पिछले अनुभवों को देखते हुए असहमति व्यक्त की गई है। महासभा के प्रदेश मंत्री मोहनलाल वर्मा ने कहा कि आरक्षण गुर्जरों का अधिकार है। समस्या का समाधान ढूंढऩे के लिए शांतिपूर्वक प्रयास किए जाने चाहिए। बैठक में पूर्व मंत्री नाथूसिंह गुर्जर, महासभा के रामगोपाल गार्ड, कोषाध्यक्ष अमरसिंह कसाना सहित कई गुर्जर नेता शामिल थे।
|
|
|
Post by AP Singh on Mar 31, 2010 13:19:01 GMT 5.5
It is because Vasudhra raje proved to be smarter and made innocent Gujjars to understand that she is actually working for them, Whereas the ground realities were different. The sequence of events are as follows:
1. While including jats- the community in which she is married- among OBC, she promised Gujjars that they would be included in ST catagory later. That was a gimmick to make the inclusion of Jats, in OBC catagory smoother.
2. When she refused to accept her claim about the inclusion of Gujjar in ST catagory, she instigated Minas, to oppose the Gujjars at political level to serve her cause. Till that time Minas were close associates of Gujjars in Rajasthan who were living amicably with them in many regions of the state since ages.
3 Minas did the right thing to oppose the Gujjars to be included without making separate provision for them. The same thing Gujjars should also have done at the time of inclusion of Jats in OBC catagory without making a special catagory for Gujjars and other OBC to secure 5% special quota for them. It was vasudhara who ditched them by making false promises.
I am not against inclusion of Jats among OBC catagory but not at the cost of other OBCs like Gujjars without making a special provisions for them. In fact Gujjars suffered maximun during Mughal and British Period both which is the reason for being educationally and economically Backeard. Jats of Rajasthan ( except Bharatpur rulers, who ruled as the vassals of Jaipur state by eliminating the descendents of ChuramanJat, the founder of the state) also uffered during Mughal period but Britishers provided them special facilities to join the Government jobs and due to this reason they are atleast 100 years ahead of Gujjars and Minas in education and prosperity level.
4. Later vasudhara deliberately included 14% provision for other economically backward class comprising the population which is presently considered as general catagory and enjoyed special status during slavery period of the country, i,e,. during Mughal and British Period. It is said that among Hindus population during Mughal period paid only 12% tax, rajput 33% and Gujjars and Jats ( except Bharatpur) paid 75%. The Britishers made the tax structure uniform but preferred certain communities to provode better opportunities and suppressed the communities like Gujjars for the reason that Prosperous Gujjars would be a threat to their Empire in future.
5. Moreover she balmed Gujjars during agitation that they killed their own people whereas the fact is she let her police force loose on Gujjars to instigate fight among Gujjars and Police force.
6. Now, Gehlot is also not a Mahatma Gandhi and Gujjars should not expect that he will provide them reservation on platter. He will also sit on the issue like ex-Governor SK singh.
7. Under Present circumstances Col. Bainsla should exter pressure to get bill cleared as fast as possible. The issue of 5% reservation should be separated from 14% for others to make it possible to ahppen under constitution and to have no legal issuesfor 5% reservation for Gujjars and others.
8. Col. Bainsla did very right to join the politics. Here also the Gujjars are again percieving the events in a wrong manner. Col. Bainsla should be supported in his own constituency but he should be shown the door in the constituencies of Dushyant Singh and his mother vasudhara.
9. Also historical factors should be brought in to public view and specially to Gujjar population by way of giving education about history that vasudhara is no queen. Her encestors were hired to take care of shoes by the Peshawas ( Ministers) of the Maratha state which was founded By Gujjars like Shivaji Bainsle and Pratap Rao Gujjars. She is Maharani today only because her ancestors fled from the battle of Abdali and remained faithful vassals of British Empire. Such factors contribute a lot in the winning of a candidate in elections, specially in Rajasthan, where population is largely poor and isolated and does not know the real facts about these vassals of Foreign rulers.
This time Jhalawad which is a Gujjar dominated constituency should elect a Gujjar MP this time. The congress leadership also be conveyed that they should not continue the policy of Britishers and Mughals to give maximum tickets to the descedents of the servants of Mughals and Britishers and should support the basic policies of Congess at the time of its foundation. It can be done by giving more represenatation in the Government to the descendents of people who opposed these foreign rulers the reason Congress was formed.
|
|
|
Post by Ashok Harsana on Mar 31, 2010 17:39:27 GMT 5.5
100% True AP Singh Ji, I agree with your points.
|
|
|
Post by Gujjar on Apr 30, 2010 16:55:20 GMT 5.5
A.P Singh is 100% right because ther e is no other way to solve our problems and get the highest ststus among other castes.
|
|