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Post by satyendragurjar on Mar 8, 2012 10:16:20 GMT 5.5
What about Gujar population in Bijnor District and its assembly seats...? Why there is no Gujar candidate in the entire district when the MP is Sanjay Chauhan from RLD (a Gujar)...?
Why Loni, Noida, Sardhana and Shamli has been lost to a Muslim, Brahmin, Thakur and Jat respectively ....?
Again Kithore has been lost to a Muslim...! Whether there was also division of Gujar votes in Deoband or Brahmin / Thakur are more in numbers. It appears that Nakud is no more a Gujar dominated seat...?
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Post by rajagurjar on Mar 8, 2012 21:11:33 GMT 5.5
Satyendra why do you have hostility in your words, are you against gurjars even thou you are one of us?
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vij
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Post by vij on Mar 11, 2012 0:58:44 GMT 5.5
Analysis of election in Dadri - a Gurjar dominated Constituency.
दादरी में गुर्जर-दलित गठजोड़ से झूमा हाथी
ग्रेटर नोएडा, संवाददाता : विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद प्रत्याशियों के सिर जीत का सहरा बंध चुका है। चुनाव प्रचार में महंगाई, भ्रष्टाचार, अन्ना आंदोलन, जमीन अधिग्रहण, बेरोजगारी व विकास का मुद्दा सबसे ज्यादा हावी रहा। बसपा प्रत्याशियों ने जिले में जहां विकास को मुद्दा बनाकर जनता से वोट मांगे थे, वहीं कांग्रेस, सपा और भाजपा ने जमीन अधिग्रहण, भ्रष्टाचार व बेरोजगारी को अपना मुद्दा बनाया। जनसभाओं को संबोधित करने के लिए आए कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी से लेकर भाजपा के अध्यक्ष नितिन गडकरी, पूर्व अध्यक्ष राजनाथ सिंह व सपा प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी स्थानीय मुद्दों को आगे कर जनता से अपने-अपने दलों के प्रत्याशियों को जिताने की अपील की थी। चुनाव परिणाम के बाद ये सभी मुद्दे गौण हो गए और इन सबके ऊपर जातिवाद का मुद्दा ही हावी हो गया। दादरी विधानसभा सीट पर गुर्जर और दलित वोटों का एक साथ आना बसपा प्रत्याशी सतवीर गुर्जर की जीत का कारण बना। दादरी में करीब डेढ़ लाख गुर्जर मतदाता हैं। अनुसूचित जाति के मतदाताओं की संख्या पचास हजार के आसपास है। 14 प्रत्याशियों में से यहां 11 प्रत्याशी गुर्जर जाति से थे। दो प्रत्याशी मुस्लिम व एक ब्राह्मण जाति से था। गांवों में विभिन्न दलों के प्रत्याशियों को मिले मतों का आकलन करने के बाद यह पता चलता है कि गुर्जर जाति से 11 प्रत्याशी मैदान में होने के बावजूद इस जाति के 50 प्रतिशत से अधिक मत बसपा प्रत्याशी के ही खाते में गए, जबकि दलितों के वे 95 प्रतिशत मत लेने में कामयाब रहे। दोनों जातियों से मिले भारी मतों ने ही बसपा प्रत्याशी की जीत में अहम भूमिका निभाई। कांग्रेस प्रत्याशी समीर भाटी सर्वाधिक मुस्लिम मत लेने में कामयाब रहे। उन्होंने जाट और ठाकुर बहुल गांवों में भी बेहतर तरीके से अपनी उपस्थिति दर्ज कराई, लेकिन गुर्जर व अन्य जाति के मतदाताओं को वे अपनी तरफ मोड़ने में कामयाब नहीं रहे।
कांग्रेसी नेता व पूर्व राजस्व मंत्री रवि गौतम भी तमाम कोशिशों के बावजूद अनुसूचित जाति के मतों को पार्टी प्रत्याशी की तरफ नहीं मोड़ पाए। भाजपा प्रत्याशी नवाब सिंह नागर को ठाकुर बहुल गांवों के साथ दादरी व सूरजपुर कस्बे में वैश्य एवं पंजाबी मतदाताओं के वोट अच्छी तादात में मिले। ग्रेटर नोएडा शहर में पड़े 11,677 मतों से सर्वाधिक 4,770 वोट भाजपा प्रत्याशी को मिले, लेकिन गुर्जर बहुल गांवों में उन्हें अधिक वोट नहीं मिले। ब्राह्मण बहुल क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी को निर्दलीय पीतांबर शर्मा ने भारी नुकसान पहुंचाया। पीतांबर शर्मा को ब्राह्मणों के अच्छे खासे वोट मिले। सपा प्रत्याशी राजकुमार भाटी यादव बहुल गांवों में 90 प्रतिशत वोट लेने में कामयाब रहे, लेकिन उन्हें भी मुस्लिम व गुर्जर बाहुल्य गांवों में उम्मीद के हिसाब से वोट नहीं मिल सके।
दादरी विधान सभा क्षेत्र में किस जाति के कितने वोट
जाति वोटों की संख्या
गुर्जर 1 लाख 55 हजार
दलित 50 हजार
मुस्लिम 39 हजार
ठाकुर 27 हजार
ब्राह्मण 20 हजार
जाट 9 हजार
वैश्य 7 हजार
यादव 6 हजार
पंजाबी 2 हजार
अति पिछड़ा वर्ग, 27 हजार
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vij
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Post by vij on Mar 11, 2012 1:46:33 GMT 5.5
Regarding the seats which were lost.
Saharanpur
1. Nakur- This seat has also good Gurjar population . Panwar Gotra is dominant here along with the neighbouring Rampur Maniharan seat (SC) . Nakur was lost as BJP candidate was very weak compared to others.Nakud still has many Gurjar villages but they are not united.
2.Deoband - This was lost due to 2 Gurjar candidates . Gurjar votes got divided.Rajpal Singh Judda (Distt President of BJP) was asked to contest against sitting MLA Manoj Chaudhary Panwar fom Deoband at last moment instead of Gangoh seat. Gurjar ealier used to be only 10 thousand here but now after delimitation Gurjar are nealy 40 thousand and Thakur are 25 thousand.This seat has Muslims 90 thousand and Dalit 60 thousand
Muzaffarnagar
3.Shamli - Ex Minister Virendra Singh lost from here to a Jat. Jat are more compared to Gurjar. Many powerful Gurjar villages are in Shamli but Jats are more here.
Meerut
4.Sardhana - This seat was the most high profile as Haji Yakub of RLD was fighting fom here. Gurjar Atul Pradhan lost as from here. Atul Pradhan is a former Student leader of Meerut University. A Thakur Sangit Som won fom here.
5.Kithore - 2 Gurjar both ex Ministers were fighting and lost.
Ghaziabad
6.Loni- Madan Bhaiya lost as large part of his earlier Khekra constituency has now become Baghpat. Loni now has a huge Muslim population although the Gurjars in Loni are very daring and highly progressive in education and business.
NOIDA
7. Noida - Sunil Chaudhary who contested on SP ticket belong to Meerut while Mahesh Sharma who owns Kailash Hospital also belongs to Rajasthan but he is active in Noida since last 20 years but could never win. Sunil Chaudhary did not get the required support from local Gurjars.
IN Chata(Mathura) , Hemant Gurjar was to get the BJP ticket but at last moment it was not given while in Bithri Chainpur (Bareilly) Teja Gurjar was fighting and he belonged to Noida and is a rich Farmer.
Ranjeet Singh Judev is regularly being defeated from Garautha (Jhansi), while Gurjar leadership is still developing in region across the Ganges River in Distt of Amroha and Bijnore.
Regading why no Gurjar candidate from Bijnore it is because Bijnore Gurjar leadership is still to be developed. Sanjay Chauhan won from Bijnore because the Bijnore MP seat is a very peculiar seat. This seat has the assembly constituencies of Purqazi and Mirapur ( these are in Muzaffarnagar) , Hastinapur ( Meerut ) and rest two are Bijnore and Chandpur(Distt Bijnore) As you can see the fist three seats of Muzaffarnagar has Gurjar dominance while Chandpur is Jat dominated and Bijnore has more Jat and less Gurjar. But the Gurjar population is so high and dominant in Purqazi , Mirapur and Hastinapur ( nealy 3.0 lacs) that every party has Gurjar as its candidate for Bijnore Lok Sabha seat
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Post by narendrarana on Mar 17, 2012 15:50:50 GMT 5.5
vir gujreshwar ji, we are the only culprit for our condition in our country. i m giving u an example of state assembly elections of u.p. their is a gurjar candidate from chata tahsile distt. Mathura Hemant Gurjar was the name of candidate who got only 11000 votes from the region in which votes of the gurjars are much more than he got. In our cast zealousness is very prominent we dnt want let the our gurjar candidate win. this is the fact that i have seen in my shorter pan of life. i m very younger to you plz u tell that i m right or wrong. i think there must be an NGO in order to advise , help and members of which can suggest a way by which we can get the integrity in our community for better future. the gurjar youth of our country is not going in the right way they are not interested in professional courses , a few or i should say 5 or 6 GURJAR PERSONNEL are their at mukherji nagar for the coaching of IAS. so plzz all of u vir ji and others come forward and suggest a better way for gurjars..
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vij
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Post by vij on Mar 28, 2012 17:59:42 GMT 5.5
सरकार में प्रतिनिधित्व पाने से वंचित गुर्जर व जाट बिरादरी के किसी सदस्य को विधान परिषद के रास्ते कैबिनेट में जगह देने की कवायद तेज हो गई है। जिले में गुर्जर कोटे से वीरेन्द्र सिंह और जाट होने के नाते अनुराधा चौधरी को पश्चिम से इस दौड़ में सबसे आगे माना जा रहा है।
पूर्ण बहुमत हासिल करने के बावजूद समाजवादी पार्टी किसी गुर्जर या जाट को जिताकर विधान सभा में नहीं भेज पाई। यही वजह है कि सूबे की आबादी में लगभग तीन व दो प्रतिशत की हैसियत रखने के बावजूद पहली बार न तो कोई जाट और न ही कोई गुर्जर कैबिनेट में जगह बना पाया। विधायकों द्वारा निर्वाचित होने वाले विधान परिषद के 38 सदस्यों में से 13 का कार्यकाल शीघ्र समाप्त होने जा रहा है। जिसके लिए अगला चुनाव आठ मई को होगा। मौजूदा विधानसभा में 224 सदस्यों की हैसियत रखने वाली सपा 13 में से आठ को विधान परिषद का चुनाव जिताने में सक्षम है। ऐसा हुआ तो उनमें से सपा के एक गुर्जर व एक जाट को मौका मिलना लाजमी है। राजनीतिक सूत्रों से छन कर आ रही खबर पर गौर करें तो उस स्थिति में पश्चिम से वीरेन्द्र सिंह व अनुराधा का पलड़ा भारी होता दिखाई दे रहा है। छह बार के विधायक व प्रदेश की पूर्व सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे वीरेन्द्र सिंह इस बार शामली से सपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे, लेकिन करीबी मुकाबले में वह कांग्रेस प्रत्याशी से हार गए थे। हालांकि उनका मुकाबला सहारनपुर के कद्दावर गुर्जर नेता यशपाल सिंह से है लेकिन फिलहाल पुत्र के राजनीति में अधिक सक्रिय होने के कारण उनकी संभावनाएं तुलनात्मक रूप से कम हैं। वहीं गत विस चुनाव से पूर्व ही सपा में शामिल हुई अनुराधा चौधरी रालोद में नंबर दो पर रहने के साथ ही प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री रहने के अलावा लोकसभा में कैराना का प्रतिनिधित्व भी कर चुकी हैं। जाट कोटे से एमएलसी के लिए उनकी दावेदारी मजबूत मानी जा रही है। लेकिन सपा में राष्ट्रीय महासचिव का पद हासिल करने के बाद भी गत विधानसभा चुनाव के दौरान जिले में उनकी सीमित सक्रियता खुद ही एक सवाल खड़ा कर रही है। अब देखना यह है कि राजनीति के चतुर सुजान इन दोनों नेताओं में से कौन विधान परिषद की दौड़ जीत पाता है।
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